उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया से जुड़े पेपर लीक घोटाले की चल रही जांच में हाल ही में एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। इस खोज ने कानून प्रवर्तन समुदाय को स्तब्ध कर दिया है और भर्ती प्रणाली की अखंडता के बारे में गंभीर सवाल उठाए हैं।
Big Breking UP Police : यूपी पुलिस में कांस्टेबल भर्ती के पेपर लीक मामले में सनसनीखेज खुलासा हुआ है। यूपी पुलिस ने परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी गुजरात की निजी कंपनी एडुटेस्ट को दी थी। अब इसे काली सूची में डाल दिया गया था लेकिन इसके मालिक विनीत आर्य विदेश भाग गए।
एसटीएफ ने अब तक कई समन भेजे हैं लेकिन विनीत आर्य के बारे में केवल एक ही जानकारी मिली है कि वह अमेरिका भाग गया है।
सवाल यह है कि पुलिस भर्ती बोर्ड में अचानक डीजी का परिवर्तन हो रहा है और गुजरात की एक संदिग्ध कंपनी को कांस्टेबल भर्ती जैसी बड़ी परीक्षा का अनुबंध दिया जा रहा है। कागज का रिसाव और मालिक विदेश भाग रहा है। फिर भर्ती बोर्ड के डीजी को हटाना सब कुछ संदिग्ध बना देता है।
यूपी पुलिस की सिपाही भर्ती में हुए पेपर लीक मामले में सनसनीखेज खुलासा हुआ है।
यूपी पुलिस ने परीक्षा कराने की जिम्मेदारी गुजरात की प्राइवेट कंपनी एजुटेस्ट को दी गई थी। अब उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया गया लेकिन उसका मालिक विनीत आर्य विदेश भाग गया।STF ने अब तक कई समन भेजे लेकिन विनीत… pic.twitter.com/0Cd2Ho37wc
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) June 20, 2024
वर्तमान में एसटीएफ लिंक जोड़ने की कोशिश कर रहा है लेकिन आईपीएस अधिकारी यह पता लगाने में सक्षम नहीं हैं कि इस कंपनी को ठेका किसने दिया था।
आगे बढ़नाः विश्वास और जवाबदेही बहाल करना
चूंकि पेपर लीक घोटाले की जांच जारी है, इसलिए यह आवश्यक है कि यूपी पुलिस भर्ती प्रक्रिया के भीतर विश्वास और जवाबदेही को बहाल करने के लिए कदम उठाए जाएं। इसके लिए मौजूदा प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल की गहन समीक्षा के साथ-साथ भविष्य में ऐसी घटनाओं को होने से रोकने के लिए नए सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की आवश्यकता होगी। केवल निर्णायक कार्रवाई करके ही यूपी पुलिस जनता का विश्वास और विश्वास फिर से हासिल करने की उम्मीद कर सकती है और यह सुनिश्चित कर सकती है कि भविष्य की भर्ती प्रक्रियाएं निष्पक्ष, पारदर्शी और भ्रष्टाचार से मुक्त हों।