उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हलचल के बीच सीएम योगी की राज्यपाल से मुलाकात: क्या है असली मंशा? 

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यूपी में राजनीतिक हलचल के बीच सीएम योगी की राज्यपाल से मुलाकात: क्या है असली मंशा? 
राजभवन में सीएम योगी की शिष्टाचार भेंट

 

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी में बयानबाजी और अटकलों का दौर जारी है। इसी बीच, बुधवार की शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की। यह मुलाकात राजभवन में हुई और इसे शिष्टाचार भेंट के रूप में देखा जा रहा है। सीएम योगी ने राज्यपाल को सावरकर की पुस्तक भेंट की और आगामी विधानसभा सत्र के लिए आमंत्रण भी दिया।

 भाजपा कार्यसमिति की बैठक के बाद बढ़ी कयासबाजी

भाजपा कार्यसमिति की हालिया बैठक के बाद से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मची हुई है। इस बैठक में डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया, जिसके बाद भाजपा और सहयोगी दलों के कई नेता उनके पक्ष में लामबंद हो गए। इसके बाद केशव मौर्य भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचे। नड्डा ने भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से दिल्ली में मुलाकात की, जो लखनऊ में हुई मुलाकात के 48 घंटे के अंदर हुई। इसने कई तरह की चर्चाओं को जन्म दिया।

पीएम मोदी से भी हुई मुलाकात

भूपेंद्र चौधरी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। इस मुलाकात ने भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को और बढ़ा दिया है। इस बीच, सीएम योगी का राजभवन पहुंचना और राज्यपाल से मुलाकात करना चर्चा का विषय बना हुआ है।

 सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के बीच तनाव

सूत्रों के अनुसार, सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच कुछ सही नहीं चल रहा है। चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्य योगी की कार्यशैली से खुश नहीं हैं और उन्हें सीएम पद से हटाना चाहते हैं। इस बीच, सीएम योगी का राज्यपाल से मुलाकात करना कई सवाल खड़े कर रहा है।

मानसून सत्र पर चर्चा

सीएम योगी और राज्यपाल के बीच 29 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र को लेकर भी चर्चा हुई। यह सत्र महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा होनी है। सीएम योगी ने राज्यपाल को इस सत्र के लिए आमंत्रित किया और सावरकर की पुस्तक भेंट की।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में चल रही उठापटक के बीच सीएम योगी की राज्यपाल से मुलाकात ने कई अटकलों को जन्म दिया है। हालांकि, इसे शिष्टाचार भेंट के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके पीछे की असली मंशा क्या है, यह तो समय ही बताएगा।

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