Noida News : लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) आगामी विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों में जुटी हुई है। लेकिन गौतम बुद्ध नगर में पार्टी को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह समस्या किसी विरोधी दल से नहीं, बल्कि नोएडा वैश्य समाज के अपने ही लोगों द्वारा खड़ी की जा रही है।
वैश्य समाज की अनदेखी के आरोप
नोएडा वैश्य समाज ने सपा के जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी और महासचिव सुधीर तोमर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे जिला संगठन में वैश्य समाज के लोगों की अनदेखी कर रहे हैं। इस संबंध में संगठन ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को एक पत्र भी लिखा है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस पत्र को पार्टी के अंदर कलह और गुटबाजी का कारण माना जा रहा है।
सुधीर भाटी का स्पष्टीकरण
सपा के जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकारिणी में शामिल होने के लिए कुछ मानक हैं, और यदि इन मानकों का पालन किया जाता है, तो ही किसी कार्यकर्ता को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
विनय अग्रवाल का पत्र
नोएडा वैश्य संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय अग्रवाल ने अखिलेश यादव को पत्र में लिखा है कि यदि वे गौतम बुद्ध नगर जिला कार्यकारिणी की सूची की जांच करें, तो उन्हें पता चलेगा कि इसमें किसी भी वैश्य समाज के कार्यकर्ता को स्थान नहीं दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जितेन्द्र अग्रवाल, जो कि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं, को जानबूझकर कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया जा रहा है।
जातिगत भेदभाव के आरोप
विनय अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि पार्टी संगठन में जाति विशेष को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि वैश्य समाज के कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संपूर्ण वैश्य समाज की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है।
जितेन्द्र अग्रवाल की आवाज़
जितेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने पार्टी द्वारा दी गई जिम्मेदारियों का समर्पित भाव से निर्वहन किया है। उन्होंने कार्यकारिणी गठन के समय अपनी आपत्ति भी उठाई थी, लेकिन उनकी आवाज़ को दबा दिया गया। उनका मानना है कि जिलाध्यक्ष और महासचिव राष्ट्रीय नेतृत्व को गुमराह कर रहे हैं।
गौतम बुद्ध नगर में सपा के जिलाध्यक्ष और महासचिव पर लगे आरोप पार्टी के अंदर की कलह को उजागर करते हैं। यह स्थिति न केवल पार्टी के लिए चुनौती है, बल्कि वैश्य समाज की प्रतिष्ठा के लिए भी महत्वपूर्ण है। अब देखना यह है कि पार्टी इस मुद्दे को कैसे संभालती है और क्या संगठन में सुधार लाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी।