Yamuna City / Jewar: जेवर के नीमका गांव और शाहजहांपुर क्षेत्र में प्रस्तावित औद्योगिक परियोजना को लेकर ग्रामीणों में भारी असंतोष पनप रहा है। शुक्रवार को आयोजित लोक सुनवाई के दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने पहुंचकर भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की वैधानिकता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने जबरन सहमति दर्शाकर अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है, जबकि जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है।
सिर्फ 20% किसानों की सहमति का दावा
लोक सुनवाई में एसडीएम अभय सिंह के समक्ष ग्रामीणों ने एक सुर में कहा कि अधिग्रहण की प्रक्रिया में महज 20 प्रतिशत किसानों की सहमति ली गई है, जबकि कानून के मुताबिक 70 प्रतिशत किसानों की सहमति अनिवार्य है। ग्रामीणों ने इस अधूरी सहमति को गैरकानूनी और लोकतंत्र के खिलाफ बताया। ग्रामीणों के अनुसार, किसानों की सहमति को लेकर जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं, वे गलत हैं और उनकी कोई वैधानिक मान्यता नहीं है।
डाटा संग्रह प्रक्रिया पर भी सवाल
15 जून तक विस्थापन से संबंधित डाटा एकत्रित करने के लिए एक आठ सदस्यीय समिति बनाई गई थी। ग्रामीणों का आरोप है कि समिति ने सिर्फ खानापूर्ति की है। बिना किसी अधिकृत आदेश के, कुछ चुनिंदा लोगों से ही जानकारी लेकर अधूरी रिपोर्ट तैयार कर दी गई, जिससे असल ग्रामीणों की आवाज दबा दी गई।
कृषि भूमि देने को तैयार लेकिन उचित दरें चाहिए
गांव के कई किसान यह मानते हैं कि विकास जरूरी है, और वे औद्योगिक नगर के लिए अपनी भूमि देने को तैयार हैं, लेकिन वर्तमान दरें न तो बाजार भाव के अनुरूप हैं और न ही किसानों के हित में। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार द्वारा मनमानी दरें तय कर दी गई हैं, जो कृषि कानूनों और किसान सम्मान के खिलाफ हैं।
एक सप्ताह की चेतावनी, फिर कोर्ट का रुख
ग्रामीणों ने प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के भीतर प्रक्रिया को पारदर्शी और वैध तरीके से आगे नहीं बढ़ाया गया, तो वे कानूनी रास्ता अपनाएंगे। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि उनकी आवाज नहीं सुनी गई तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।