Greater Noida News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे पिछले 6 वर्षों में हुए दर्दनाक हादसों के लिए कुख्यात हो गए हैं। RTI कार्यकर्ता आर्य सागर खारी द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन एक्सप्रेसवे पर 2019 से अक्टूबर 2024 तक कुल 789 दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिनमें 625 लोगों की जान चली गई। इन हादसों में 1000 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं।
यमुना एक्सप्रेसवे: मौतों का सबसे बड़ा केंद्र
इन सभी एक्सप्रेसवे में, यमुना एक्सप्रेसवे हादसों का सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। कुल 625 मौतों में से 400 से अधिक मौतें अकेले यमुना एक्सप्रेसवे पर हुई हैं। यह आँकड़ा इस एक्सप्रेसवे पर यात्रा करने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा करता है।
हादसों को रोकने के प्रयास: अपर्याप्त कदम
RTI में यह भी पूछा गया था कि इन हादसों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। जवाब में बताया गया कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे पर दो ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं, जबकि यमुना एक्सप्रेसवे पर ऐसा कोई ब्लैक स्पॉट नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि वे जागरूकता अभियान चलाते हैं, दुर्घटनाग्रस्त वाहनों को हटाते हैं, और तेज गति और शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। हालाँकि, इन प्रयासों को मौतों की संख्या को देखते हुए अपर्याप्त माना जा रहा है।
सख्त कदम उठाने की आवश्यकता
625 मौतों का आँकड़ा बेहद चिंताजनक है और यह दर्शाता है कि एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। अधिकारियों को ब्लैक स्पॉट की पहचान करने, सड़कों की स्थिति में सुधार करने, और यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराने पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही, लोगों को भी यातायात नियमों का पालन करने और सावधानी से गाड़ी चलाने के लिए जागरूक होना चाहिए।