- 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक: यमुना प्राधिकरण पर महापड़ाव
- 2 दिसंबर: मांगे नहीं माने जाने पर दिल्ली कूच
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में संयुक्त किसान मोर्चा का महापड़ाव बुधवार को लगातार तीसरे दिन जारी रहा। 28 नवंबर को यह महापड़ाव यमुना विकास प्राधिकरण कार्यालय की ओर कूच करेगा। इस धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन टिकैत के राष्ट्रीय सचिव राजे प्रधान ने की। महापड़ाव स्थल पर हजारों किसान मौजूद रहे, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।

किसानों की मांगें
महापड़ाव स्थल को संबोधित करते हुए सिस्टम सुधार संगठन के नेता अंशुमान ठाकुर ने कहा कि यह महापड़ाव तब तक जारी रहेगा जब तक 10% प्लाट, नए कानून के लाभ को लागू करने और कमेटी की सकारात्मक सिफारिशों को लागू नहीं किया जाता। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने स्पष्ट किया कि महापड़ाव 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यमुना प्राधिकरण पर रहेगा। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 2 दिसंबर को दिल्ली कूच किया जाएगा।
महापड़ाव का उद्देश्य:
- 10% प्लाट का मुद्दा: किसानों की मुख्य मांग 10% आबादी प्लाट का मुद्दा है। उनका कहना है कि सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
- नए कानूनों का लाभ: किसान नए कानूनों के लाभ लेने की मांग कर रहे हैं।
- कमेटी की सिफारिशें: किसानों की मांग है कि कमेटी की सकारात्मक सिफारिशों को लागू किया जाए।
सरकार को चेतावनी
किसानों ने सरकार को चेतावनी दी है कि उसके पास 1 दिसंबर तक का समय है, जिसमें उसे किसानों के मुद्दों पर निर्णय लेना होगा। अन्यथा, सरकार और पुलिस प्रशासन इसके लिए जिम्मेदार होंगे। 25 नवंबर को 20,000 की संख्या में किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर महापंचायत महापड़ाव में शामिल हुए थे।
किसानों का रोष
किसानों में भारी रोष है, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार उनके मुद्दों के प्रति उपेक्षा पूर्ण रवैया अपनाए हुए है। प्राधिकरण के अधिकारी हल होने लायक मुद्दों को भी हल नहीं कर रहे हैं। 3.50 लाख से अधिक किसान 10% आबादी प्लाट के मुद्दे से प्रभावित हैं, और संयुक्त किसान मोर्चा इन मुद्दों को हल करने के लिए कटिबद्ध है।
संयुक्त किसान मोर्चा का संगठन
संयुक्त किसान मोर्चा में 10 संगठन शामिल हैं, जिनमें भारतीय किसान परिषद, अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान यूनियन टिकैत, भारतीय किसान यूनियन महात्मा टिकैत, भारतीय किसान यूनियन अजगर, जय जवान जय किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन कृषक शक्ति, किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा, सिस्टम सुधार संगठन, और किसान एकता संघ शामिल हैं। इसके अलावा, किसान यूनियन भानू, किसान यूनियन मंच, जनवादी महिला समिति और अन्य किसान एवं सामाजिक संगठन भी इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने भी आंदोलन के समर्थन में अपना पत्र जारी किया है।
इस महापड़ाव के माध्यम से किसान अपनी आवाज उठाने और अपनी मांगों को सरकार के सामने रखने के लिए एकजुट हुए हैं।