ग्रेटर नोएडा: साली के पति की हत्या के आरोप में बिना सबूतों के फंसाया, कोर्ट ने किया बरी, लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का आदेश

Greater Noida: Accused of murdering sister-in-law's husband without any evidence, court acquitted him, orders to take action against negligent policemen

Partap Singh Nagar
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ग्रेटर नोएडा: साली के पति की हत्या के आरोप में बिना सबूतों के फंसाया, कोर्ट ने किया बरी, लापरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का आदेश

Greater Noida / भारतीय टॉक न्यूज़ : ग्रेटर नोएडा के जिला न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली निवासी एक व्यक्ति को अपनी साली के पति की हत्या के आरोप से मुक्त कर दिया है। अदालत ने सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस के तत्कालीन थानाध्यक्ष और दरोगा द्वारा बिना किसी ठोस सबूत के व्यक्ति को आरोपी बनाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने न केवल आरोपी को बरी किया, बल्कि पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।

मृतक और शिकायत:

दिल्ली निवासी अनंत कुमार झा ने सेक्टर-20 कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके साले जयकिशन पिछले आठ वर्षों से झंडेवाला देवी मंदिर में सेवादार थे। वर्ष 2014 में जयकिशन का विवाह नोएडा के सेक्टर 11 निवासी पूजा के साथ हुआ था, लेकिन पूजा शादी के केवल 28 दिन बाद ही अपने मायके चली गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पूजा के परिवार वाले जयकिशन की मां को धमकी देकर संपत्ति में हिस्सा मांग रहे थे और ढाई लाख रुपये देने के बाद तलाक की बात तय हुई थी।

हत्या और पुलिस की लापरवाही:

अगस्त 2015 में पूजा के जीजा बाबू प्रसाद के पास एक व्यक्ति का फोन आया जिसने मिलने की बात कही। 18 अगस्त 2015 को जयकिशन नोएडा के सेक्टर 15 मेट्रो स्टेशन के पास घायल अवस्था में मिले। परिजनों ने उन्हें दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद ससुराल पक्ष के योगानंद झा, परमील झा, बाबू प्रसाद झा, नारायाण झा और एलसी शर्मा पर अपहरण और हत्या का आरोप लगाते हुए सेक्टर 20 कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया।

बिना सबूत के गिरफ्तारी और कोर्ट का फैसला:

जांच के दौरान सेक्टर-20 कोतवाली पुलिस ने लड़की पूजा के जीजा बाबू प्रसाद को बिना किसी ठोस सबूत के हत्या का आरोपी बनाकर जेल भेज दिया और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। इस मामले की सुनवाई सत्र न्यायाधीश चंद्र मोहन श्रीवास्तव की कोर्ट-5 में हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने पाया कि पुलिस ने बिना किसी पर्याप्त साक्ष्य के बाबू प्रसाद को आरोपी बनाया था। कोर्ट ने बाबू प्रसाद को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई का आदेश:

अदालत ने इस मामले में पुलिस की घोर लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया। सत्र न्यायाधीश चंद्र मोहन श्रीवास्तव ने तत्कालीन थानाध्यक्ष अमरनाथ यादव और दरोगा दधिबल तिवारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी को आदेश दिया है। अदालत ने दोनों पुलिस अधिकारियों पर दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

 

 

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