Orbital Rail Corridor will pass outside Eastern Peripheral Expressway (EPE) / भारतीय टॉक न्यूज़: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में परिवहन और कनेक्टिविटी को नई दिशा देने के लिए ईस्टर्न ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (ईओआरसी) परियोजना के अलाइनमेंट को अंतिम रूप दे दिया गया है। प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यह महत्वाकांक्षी रेल कॉरिडोर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) के बाहर से होकर गुजरेगा। यह 135 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर हरियाणा के पलवल से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर जिलों से होते हुए हरियाणा के सोनीपत तक जाएगा, जिससे एनसीआर में माल ढुलाई और यात्री परिवहन दोनों को अभूतपूर्व गति मिलेगी।
अलाइनमेंट फाइनल: क्यों चुना गया EPE के बाहर का रास्ता?
बैठक के दौरान ईओआरसी के लिए दो मुख्य अलाइनमेंट प्रस्तावों पर विचार किया गया – एक ईपीई के अंदर से और दूसरा ईपीई के बाहर से। गहन विचार-विमर्श के बाद, समिति ने ईपीई के बाहर से कॉरिडोर ले जाने के विकल्प को चुना। इसके पक्ष में कई मजबूत तर्क दिए गए, जैसे:
🔸 आसान भूमि अधिग्रहण: बाहरी अलाइनमेंट से जमीन लेना अपेक्षाकृत सरल होगा।
🔸 बेहतर कनेक्टिविटी: भारतीय रेल और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के साथ जुड़ना आसान होगा।
🔸 कम लंबाई: आंतरिक अलाइनमेंट की तुलना में इसकी लंबाई कम होगी।
🔸 तकनीकी सुगमता: आरआरटीएस (नमो भारत) के दुहाई क्रॉसिंग पर छोटे स्पैन से गुजरना संभव होगा।
इस विकल्प की एकमात्र कमी यह बताई गई कि इसे हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर से जोड़ने के लिए ईपीई को दो बार पार करना होगा। इसके विपरीत, ईपीई के अंदर से ले जाने वाले विकल्प में कई अधिक कमियां थीं, जिसके कारण बाहरी अलाइनमेंट को अंतिम रूप दिया गया।
प्रोजेक्ट का विस्तार और गति
यह ईओआरसी प्रोजेक्ट, हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर का ही एक विस्तारित रूप है। इसकी कुल लंबाई लगभग 135 किलोमीटर होगी, जिसका 87 किलोमीटर हिस्सा उत्तर प्रदेश में और शेष 48 किलोमीटर हरियाणा में पड़ेगा। यह कॉरिडोर पलवल, फरीदाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, बागपत और सोनीपत जैसे महत्वपूर्ण जिलों को जोड़ेगा। इस ट्रैक पर यात्री ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलाने की योजना है, जबकि मालगाड़ियों की अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।
एनसीआर के विकास को मिलेगी नई दिशा
इस कॉरिडोर के निर्माण से कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे:
🔸उद्योगों का विकेंद्रीकरण: दिल्ली के उद्योगों को एनसीआर के बाहरी इलाकों में शिफ्ट करना आसान होगा।
🔸 दिल्ली पर दबाव कम: दिल्ली के मौजूदा रेल नेटवर्क पर यातायात का बोझ कम होगा।
🔸 बेहतर कनेक्टिविटी: न्यू नोएडा इंडस्ट्रियल टाउनशिप और बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर जैसे कृषि उत्पादन केंद्रों को सीधी और तेज रेल कनेक्टिविटी मिलेगी।
🔸 संपूर्ण एनसीआर जुड़ाव: पूरे एनसीआर क्षेत्र में रेल के माध्यम से सीधी कनेक्टिविटी स्थापित होगी।
🔸लॉजिस्टिक हब: विभिन्न बंदरगाहों को औद्योगिक और लॉजिस्टिक सुविधाओं से बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे गाजियाबाद जैसे शहरों में औद्योगिक हब और लॉजिस्टिक पार्क विकसित हो सकेंगे।
प्रमुख रेलवे नेटवर्कों से जुड़ाव
यह कॉरिडोर मौजूदा और भविष्य के महत्वपूर्ण रेल नेटवर्कों से जुड़ेगा:
🔸 भारतीय रेल: इसे भारतीय रेल की मुख्य लाइनों से 9 स्थानों पर जोड़ा जाएगा, जिनमें हरसाना कलां (सोनीपत), सुनहेरा (बागपत), मुरादनगर (गाजियाबाद), डासना (गाजियाबाद), दनकौर (गौतमबुद्धनगर), पलवल और असोती (पलवल) शामिल हैं।
🔸डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: इसे दिल्ली-खुर्जा (डीएफसी) लाइन से दनकौर में और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से न्यू पृथला (पलवल) में जोड़ा जाएगा।
जेवर एयरपोर्ट और नमो भारत से भी कनेक्टिविटी
भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, इस कॉरिडोर को जेवर एयरपोर्ट और नमो भारत (आरआरटीएस) से भी जोड़ा जाएगा।
🔸 जेवर एयरपोर्ट: उत्तर मध्य रेलवे द्वारा प्रस्तावित चोला-रुंधी नई रेल लाइन (जिसका डीपीआर बन चुका है) जेवर एयरपोर्ट के पास से गुजरेगी। ईओआरसी को चोला और दनकौर के बीच इस लाइन से कनेक्टिविटी दी जाएगी।
🔸 नमो भारत: दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर के साथ दुहाई में एक इंटरचेंज सेक्शन बनाया जाएगा, जिससे यात्री आसानी से हरियाणा की ओर आ-जा सकेंगे।
प्रस्तावित स्टेशन: यूपी और हरियाणा में कुल 15
इस पूरे कॉरिडोर पर कुल 15 स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है।
🔸 हरियाणा (6 स्टेशन): मल्हा मजारा, जाथेरी, भैएरा बाकीपुर, छांयसा, जवान, फतेहपुर बिलौच।
🔸 उत्तर प्रदेश (9 स्टेशन): न्यू खेखड़ा रोड, बड़ागांव, मनौली, न्यू डासना, सुखानापुर, रजतपुर, शम्सुद्दीनपुर, बिसाइच, गुनपुरा।
अगला कदम: फिजिबिलिटी रिपोर्ट
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने पुष्टि की है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में ईपीई के बाहर वाले अलाइनमेंट पर सहमति बन गई है। अब इस अलाइनमेंट के आधार पर विस्तृत फिजिबिलिटी रिपोर्ट (डीएफआर) तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इस रिपोर्ट के बाद प्रोजेक्ट की लागत और निर्माण समयरेखा अधिक स्पष्ट हो सकेगी। यह कॉरिडोर निश्चित रूप से एनसीआर के आर्थिक और ढांचागत विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।