Greater Noida/ भारतीय टॉक न्यूज़: आज, 24 अप्रैल 2025 को, भारतीय किसान यूनियन मंच के बैनर तले किसानों ने लुहारली टोल प्लाजा पर अनिश्चितकालीन सांकेतिक धरना शुरू कर दिया है। किसान उस टोल व्यवस्था को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं जो 2015 से 2024 तक लागू थी, और वर्तमान टोल संचालन कंपनी पर शोषण और बर्बरता का आरोप लगा रहे हैं।
किसानों का विरोध और मुख्य मांग
धरने का शुभारंभ मंच के पदाधिकारियों की उपस्थिति में हुआ, जिसकी अध्यक्षता श्री हरबीर प्रधान (सैतली) ने की और संचालन प्रदेश अध्यक्ष मास्टर मनमिंदर भाटी ने किया। भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि उनकी मांग कोई नई व्यवस्था बनाने की नहीं, बल्कि 2015 से 2024 तक सफलतापूर्वक चली आ रही पुरानी टोल व्यवस्था को पुनः स्थापित करने की है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान में टोल का संचालन कर रही कंपनी किसानों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार कर रही है और लगातार उनका शोषण कर रही है, जिससे किसानों में भारी रोष है।
प्रशासन के साथ वार्ता और तात्कालिक कदम
मामले की गंभीरता को देखते हुए, दोपहर में दादरी की एसडीएम श्रीमती अनुज नेहरा ने टोल प्लाजा पहुंचकर किसान प्रतिनिधियों, टोल प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में एक बैठक की। वार्ता में यह सहमति बनी कि आगामी 26 अप्रैल तक प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों के सभी कमर्शियल वाहनों की सूची तैयार कर प्रशासन को सौंपी जाएगी। एसडीएम कार्यालय अगले 3 दिनों के भीतर इस सूची का सत्यापन करेगा ताकि समस्या की वास्तविक स्थिति का आकलन किया जा सके और समाधान की दिशा में आगे बढ़ा जा सके। बैठक में टोल मैनेजर अनिरुद्ध को स्पष्ट चेतावनी दी गई कि वे अगली बैठक में अपने उच्च अधिकारियों के साथ और संभावित समाधान के प्रस्ताव के साथ उपस्थित हों।
आगामी रणनीति और सांकेतिक धरना जारी
किसान नेताओं और प्रशासन के बीच अगली महत्वपूर्ण बैठक 1 मई 2025 को निर्धारित की गई है। इस बैठक में टोल प्रशासन, एसडीएम और भारतीय किसान यूनियन मंच की टोल कमेटी शामिल होगी, और उम्मीद है कि इसमें कोई ठोस समाधान निकलेगा। तब तक, पंचायत में लिए गए निर्णय के अनुसार, प्रत्येक प्रभावित गांव से पांच प्रतिनिधियों की एक टोल कमेटी गठित की गई है जो वाहनों की सूची बनाने का काम करेगी। साथ ही, लुहारली टोल प्लाजा पर किसानों का सांकेतिक धरना तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
किसानों का अटल रुख और प्रशासन की जांच
किसानों का कहना है कि वे टोल प्रशासन के किसी भी खोखले आश्वासन पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि यह मुद्दा सीधे तौर पर उनकी रोजी-रोटी और परिवारों के भरण-पोषण से जुड़ा है। वे स्थायी समाधान लेकर ही घर वापस जाने पर अडिग हैं। दूसरी ओर, प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह इस बात की जांच करेगा कि पहले से चली आ रही सुचारू व्यवस्था को आखिर क्यों बदला गया और क्या उसे मौजूदा परिस्थितियों में फिर से लागू किया जा सकता है।